क्या बापू के हत्यारे गोडसे को क्लीनचिट देने की हो रही तैयारी?

क्या बापू के हत्यारे गोडसे को क्लीनचिट देने की हो रही तैयारी?

ब्यूरो। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी। इस बारे में वर्ष 1948 से लेकर वर्ष 2014 तक किसी को कोई शंका नहीं थी। वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद अचानक सक्रीय हुए दक्षिणपंथी संगठनों ने एक नया मुद्दे को हवा देने की अपनी कोशिशो के तहत न सिर्फ महात्मा गाँधी के हत्यारे की शान में कसीदे पढ़ना शुरू कर दिए बल्कि कई जगह बापू के हत्यारे गोडसे की मूर्ति स्थापित करने की कोशिश भी की गयी।

अचानक सामने आये गोडसे समर्थको ने बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को वीर योद्धा भी बताया और कई जगह गोड़से समर्थको ने अपने भाषणों में गोडसे के कदम को जायज़ और सही करार दिया। इतना ही नहीं इंटरनेट पर ब्लॉग और सोशल मीडिया के माध्यम से यह दावे भी किये गए कि गोडसे ने जो किया वह देश के लिए ज़रूरी था। (लोकभारत ऐसे किसी दावे से कतई सहमत नहीं है)

अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है जिसमे याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या में कोई और भी शरीक था। अभिनव भारत नामक संगठन के शोधार्थी डाक्टर पंकज फडनिस ने अपनी याचिका में कहा कि वर्ष 1966 में गठित न्यायमूर्ति जे एल कपूर जांच आयोग साजिश का पता लगाने में पूरी तरह नाकाम रहा। यह साजिश राष्ट्रपिता की हत्या के साथ पूरी हुई।

फडनिस ने गोडसे और नारायण आप्टे सहित अन्य आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए विभिन्न अदालतों की ओर से सही मानी गई तीन गोलियों की कहानी पर भी सवाल उठाए हैं।

फडनिस ने यह भी दावा किया कि उनका शोध और उन दिनों की खबरें बताती हैं कि गांधी को चार गोलियां मारी गई थीं। और तीन और चार गोलियों के बीच अंतर अहम है क्योंकि गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को जिस पिस्तौल से महात्मा गांधी को गोली मारी थी उसमें सात गोलियों की जगह थी और बाकी की चार बिना चली गोलियां पुलिस ने बरामद की थीं।

दावे में कहा गया है कि इस हालात में यह तय है कि उस पिस्तौल से सिर्फ तीन गोलियां चलीं। उन्होंने याचिका में कहा कि गोडसे की पिस्तौल से चौथी गोली चलने की कोई संभावना नहीं है। यह दूसरे हत्यारे की बंदूक से आई।

शीर्ष अदालत से गुहार लगाने के अलावा फडनिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर सावरकर के खिलाफ कपूर आयोग की ओर से की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने का अनुरोध किया है।

सुप्रीमकोर्ट में दाखिल की गयी याचिका के बाद एक बड़ा सवाल यह उठता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या के 69 वर्ष बीत जाने के बाद आखिर ये सवाल अब क्यों पैदा हुए ? क्या बापू के हत्यारे गोडसे को निर्दोष साबित कर किसी और के गले में ह्त्या की घंटी बाँधने की तैयारी हो रही है ?

सबसे अहम सवाल यह है कि याचिका में जो दावे किये गए हैं उनका आधार क्या है ? और यदि इन सवालो का कोई आधार है तो इन्हे सामने आने में 69 वर्ष क्यों लगे ? सुप्रीमकोर्ट में दाखिल इस याचिका पर सवाल उठ रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि याचिकाकर्ता आखिर क्या साबित चाहता है ? कहीं यह महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को क्लीनचिट देने की साजिश का हिस्सा तो नहीं ?

कौन है अभिनव भारत संगठन :

अभिनव भारत की स्थापना वीर सावरकर ने 1904 में की थी। संगठन ब्रिटिश शासन से लड़ने के लिए बनाया गया था। सन् 1952 में सावरकर ने खुद इस संस्था को समाप्त कर दिया था। उनका कहना था कि स्वतंत्रता प्राप्ति का लक्ष्य पूरा हो गया अब इस संस्था की जरूरत नहीं है।

इस संस्था को 2006 में पुनः गठित किया गया। मालेगाँव बम धमाकों के सिलसिले में आरोपित साध्वी प्रज्ञा ठाकुर इस संगठन की सदस्य है।

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