यूपी को हल्के में नहीं ले रहे ओवैसी, सपा बसपा विधायकों पर हैं नज़रें

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ब्यूरो (राजा ज़ैद खान) । आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख और सांसद असद्द्दीन ओवैसी आजकल उत्तर प्रदेश की सियासत में अपने मोहरे फिट करने में व्यस्त हैं । ओवैसी यूपी में बिहार जैसी गलती नहीं करना चाहते । उनका एजेंडा यूपी से खाली हाथ वापस जाना नहीं है बल्कि यूपी में आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन की बुनियाद को जमाना है । ओवैसी की इस मुहिम में कई कद्दावर लोग उनका साथ दे रहे हैं । इन मददगारों में कोई खुलकर सामने है तो कोई परदे के पीछे से ओवैसी का समर्थन कर रहा है ।

यूपी में आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन की बुनियाद जमाने में कुछ बसपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पूर्व तथा वर्तमान विधायक भी ओवैसी को मदद पहुंचा रहे हैं । सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार समाजवादी पार्टी के 13 मुस्लिम विधायकों पर आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकिट कटने की तलवार लटकी है वहीँ बहुजन समाज पार्टी के 9 ऐसे विधायक हैं जो परदे के पीछे से ओवैसी के सम्पर्क में हैं ।

क्यों है सपा- बसपा विधायक साथ :
यूपी की राजनीति में ओवैसी नए नारे जय मीम जय भीम के साथ उतरे हैं । यह नारा बसपा के गले नहीं उतर रहा यही कारण हैं कि बसपा नेताओं को आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन के जय भीम के नारे पर बार बार यह कहना पड़ रहा है कि सिर्फ बसपा ही बाबा साहब अम्बेडकर की सच्ची अनुयायी है । हालाँकि आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन के जय भीम के नारे ने बसपा में हाशिये पर धकेले गए कुछ पूर्व विधायकों को ओवैसी से ज़रूर जोड़ दिया है । सूत्रों ने बताया कि बसपा के करीब 9 विधायक एन चुनाव के समय खुलकर ओवैसी के मंच पर आएंगे । सूत्रों ने बताया कि इस मामले में नियमित रूप से चर्चाएं जारी हैं । ओवैसी को समर्थन देने वाले बसपा नेताओं का कहीं न कहीं बसपा सुप्रीमो मायवती से मनमुटाव है ।

वहीँ दूसरी तरफ 2017 के चुनावों में टिकिट कटते देख समाजवादी पार्टी के 13 विधायक आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के संपर्क में बताये जा रहे हैं । ये वही विधायक हैं जिन्हे आगामी चुनाव में समाजवादी पार्टी से टिकिट कटने का खतरा है । विधायकों का यह गुट समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म खान से भी नाराज़ बताया जाता है । सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सांसद ओवैसी की चाल अभी इसलिए धीमी हैं क्यों कि वे यूपी के लिए अभी नई टीम तैयार करने के साथ साथ प्रदेश में गठबंधन की राह तलाश रहे हैं ।

सूत्रों के अनुसार जुलाई से ओवैसी उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी के कार्यो को गति देंगे । यह वह समय होगा जब कांग्रेस भी अपने उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी कर चुकी होगी तथा यह भी साफ़ हो चूका होगा कि अजीत सिंह वाली रालोद गठबंधन की राजनीति में भाजपा का दामन थमेगी या गैर भाजपा वाले महागठबंधन का । उस वक़्त पार्टी के लिए तय करना आसान होगा कि उसे किस रास्ते से कितनी रफ़्तार से जाना है ।

सूत्रों ने बताया कि समाजवादी पार्टी को उसके कुछ विधायकों और आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन नेता असदुद्दीन ओवैसी के सम्बन्धो की भनक है । यही कारण हैं कि शक दे दायरे में आये विधायकों की मॉनिटरिंग की जा रही है । फ़िलहाल यह तय है कि आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन यूपी के संग्राम को हलके में नहीं ले रही और पार्टी हर मुद्दे पर फूंक फूंक कर कदम रख रही है ।

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