व्यापम की तरह आईएसआई जासूसी पर भी लीपा-पोती की तैयारी !

नई दिल्ली(राजा ज़ैद)। मध्यप्रदेश सरकार की जानकारी में था कि व्यापम घोटाला कोई साधारण और छोटा सा स्कैम नही है फिर भी राज्यसरकार इसे लंबे समय तक राज्य स्तर की जांच में उलझाती रही । राज्य सरकार को मालूम था कि व्यापम घोटाले की जड़ें कितनी गहरी हैं और इस घोटाले से कौन से लोग जुड़े हैं इसके बावजूद राज्य सरकार इसकी ज़िम्मेदारी लेने से बचती रही ।

सूत्रों की माने तो पाक ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए जासूसी कर रहे रैकेट के बीजेपी और विहिप कनेक्शन को छिपाने के लिए भी कद्दावर लोगों ने जोड़तोड़ शुरू कर दी है । सूत्रों के अनुसार रैकेट में भोपाल से गिरफ्तार भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला संयोजक ध्रुव सक्सेना के भी भाजपा के बड़े नेताओं और सतना से गिरफ्तार बलराम सिंह के विश्व हिन्दू परिषद से संबंध उजागर होने के बाद इस मामले पर लीपापोती करने के प्रयास शुरू हो गए हैं ।

सूत्रों ने कहा कि सतना से गिरफ्तार किये गए बलराम सिंह की जड़ें विश्व हिन्दू परिषद के शीर्ष नेताओं तक हैं । बलराम सिंह ने सन 2015 में विश्व हिन्दू परिषद स्वर्ण जयंती महोत्सव समिति की ओर से सतना में आयोजित किये गए विराट हिन्दू सम्मेलन में बड़ी भूमिका निभाई थी और उसे विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया समेत विहिप और बीजेपी के कई बड़े नेताओं से करीबी मामलात बताये जाते हैं । सूत्रों ने कहा कि इस मामले में फंसे बीजेपी और विहिप नेताओं के करीबी लोगों को बचाने के प्रयासों के तहत किसी और को बलि का बकरा बनाया जा सकता है ।

मास्टर माइंड ने उगली सच्चाई
एटीएस के मुताबिक इस पूरे नेटवर्क के मास्टर माइंड का नाम गुलशन सेन है जो कि दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर का टीचर है। गिरफ्त में आए गुलशन ने बताया कि एमपी के साथ-साथ देश के कई बड़े राज्यों में उनका नेटवर्क काम कर रहा था। एटीएस चीफ एस शमी ने बताया कि गुलशन एक शातिर इंजीनियर है जो कि अफगानिस्तान में भी नेटवकर्क संभाल चुका है। अफगानिस्तान में वो अमेरिका सेना के लिए आईटी कम्युनिकेशन का काम करता था।

मध्य प्रदेश एटीएस के प्रमुख संजीव शमी ने बताया कि ये गिरोह पाक स्थित आकाओं के निर्देश पर सैन्य खुफिया जानकारी जुटाता था। जम्मू-कश्मीर में गत नवंबर में गिरफ्तार दो संदिग्ध जासूस इसी गिरोह से जुड़े थे। एटीएस ने इन संदिग्धों से 50 मोबाइल, 3 हजार सिम कार्ड और 35 सिम बॉक्स जब्त किए हैं। ये संदिग्ध अपने बड़े नेटवर्क के जरिए अहम जानकारियां लीक करते थे। इतना ही नहीं यहां इन संदिग्धों के फर्जी नाम और पतों को आधार पर अकाउंट भी खुले हुए थे, जिनमें पाकिस्तान से पैसे भी भिजवाए जाते थे।

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