हाजी अली: मुस्लिम धर्म गुरुओं ने कहा पहले शरीयत का अध्यन करे हाईकोर्ट

मुम्बई । हाईकोर्ट द्वारा हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी हटाने के आदेश पर मुस्लिम धर्म गुरुओं ने कड़ा एतराज जताया है । कोर्ट ने संविधान का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा कि दरगाह में जहां तक पुरुषों को जाने का अधिकार है वहां तक महिलाएं भी जाएंगी।

कोर्ट के इस फैसले पर दरगाह प्रबंधन और कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। ऑल इंडिया इमाम असोसिएशन (कुल हिन्द इमाम) के प्रेजिडेंट मौलाना साजिद रशीदी ने तो कोर्ट को शरिया कानून पढ़ने तक की सलाह दे डाली है। दरगाह ट्रस्ट इस मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट जाने वाला है।

मौलाना रशीदी ने कहा, ये बहुत ही गलत फैसला है ऐसा लगता है कि कोर्ट ने शरिया कानून पढ़े बिना फैसला ले लिया है। उन्होंने आगे कहा कि शरिया कानून के मुताबिक औरतों के लिए कुछ हदें तय की गई हैं, लोगों को इसमें दखल देने से पहले इसे जन लेना चाहिए। रशीदी ने आगे कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक खेल बना दिया गया है।

वहीँ उत्तर प्रदेश की पहली महिला क़ाज़ी ने हाईकोर्ट के फैसले को सही करार दिया है । हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा फैसला है ।

ट्रस्ट ने ऊपरी अदालत में अपील के लिए 8 हफ्ते का समय मांगा था। जिस पर हाई कोर्ट 6 हफ्ते का समय दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने छह हफ्ते के लिए अपने आदेश पर भी रोक लगा दी है। यानी फिलहाल छह हफ्ते तक महिलाओं को दरगाह के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।

याचिकाकर्ता के वकील राजू मोरे ने अदालत के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, कि हाईकोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटा लिया है। अदालत ने इसे असंवैधानिक माना है. दरगाह ट्रस्ट ने कहा है कि वो हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे

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